यूपी में अल्पसंख्यक युवाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट सेंटर: अब बदलें अपनी जिंदगी!

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“उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यक युवाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट सेंटर नई संभावनाएं खोल रहे हैं। ये सेंटर मुफ्त ट्रेनिंग, जॉब प्लेसमेंट और उद्यमिता को बढ़ावा दे रहे हैं। सरकार की योजनाएं जैसे नई मंजिल और सीखो और कमाओ अल्पसंख्यक समुदायों को सशक्त बना रही हैं। जानें कैसे ये पहल 2025 में युवाओं का भविष्य उज्ज्वल कर रही है।”

यूपी में अल्पसंख्यक युवाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट की नई उड़ान

उत्तर प्रदेश सरकार अल्पसंख्यक समुदायों के युवाओं को सशक्त बनाने के लिए स्किल डेवलपमेंट सेंटरों के माध्यम से कई योजनाएं चला रही है। इन सेंटरों का उद्देश्य युवाओं को रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण प्रदान करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। केंद्र सरकार की योजनाओं जैसे नई मंजिल और सीखो और कमाओ के तहत ये सेंटर अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी युवाओं को आधुनिक और पारंपरिक स्किल्स में प्रशिक्षण दे रहे हैं।

नई मंजिल योजना: 2015 में शुरू हुई इस योजना का लक्ष्य 17-35 वर्ष की आयु के उन अल्पसंख्यक युवाओं को शिक्षित करना है जो स्कूल ड्रॉपआउट हैं या औपचारिक शिक्षा से वंचित हैं। यह योजना नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (NIOS) के माध्यम से शिक्षा और NSQF-स्तर के स्किल ट्रेनिंग प्रदान करती है। कम से कम 70% प्रशिक्षित युवाओं को न्यूनतम वेतन वाली नौकरियों में प्लेसमेंट सुनिश्चित किया जाता है, जिसमें प्रोविडेंट फंड और कर्मचारी राज्य बीमा जैसी सामाजिक सुरक्षा शामिल है। यूपी के कई जिलों में ये सेंटर सक्रिय हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां अल्पसंख्यक आबादी 25% से अधिक है।

सीखो और कमाओ: यह योजना 2013-14 से लागू है और अल्पसंख्यक युवाओं को उनकी योग्यता और बाजार की मांग के अनुसार स्किल ट्रेनिंग प्रदान करती है। इसमें सॉफ्ट स्किल्स, बेसिक आईटी और इंग्लिश ट्रेनिंग शामिल है। यूपी में इन सेंटरों ने हजारों युवाओं को वेब डेवलपमेंट, डिजिटल मार्केटिंग, और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया है। योजना का लक्ष्य 75% प्रशिक्षित युवाओं को नौकरी दिलाना है, जिसमें 50% संगठित क्षेत्र में प्लेसमेंट होता है।

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यूपी में सेंटरों की स्थिति: उत्तर प्रदेश में लखनऊ, कानपुर, अलीगढ़, और मुरादाबाद जैसे शहरों में कई स्किल डेवलपमेंट सेंटर स्थापित किए गए हैं। ये सेंटर न केवल तकनीकी स्किल्स जैसे कोडिंग, डेटा एनालिसिस और क्लाउड कंप्यूटिंग सिखाते हैं, बल्कि पारंपरिक हस्तशिल्प और कारीगरी को भी बढ़ावा देते हैं। उदाहरण के लिए, मुरादाबाद में पीतल के हस्तशिल्प और लखनऊ में चिकनकारी पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

हालिया प्रगति: 2025 में यूपी सरकार ने इन सेंटरों के विस्तार की योजना बनाई है। हाल ही में, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने घोषणा की कि नए सेंटरों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग जैसे हाई-टेक कोर्स शुरू किए जाएंगे। इसके अलावा, नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NSDC) के साथ साझेदारी में प्रमाणन और जॉब प्लेसमेंट को और मजबूत किया जा रहा है।

महिलाओं पर विशेष ध्यान: इन सेंटरों में महिलाओं के लिए 40% आरक्षण का प्रस्ताव है, जिससे अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाएं भी आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो सकें। बेगम हजरत महल स्कॉलरशिप के तहत स्नातक पूरी करने वाली लड़कियों के परिवारों को 51,000 रुपये की विवाह सहायता भी दी जा रही है।

चुनौतियां और भविष्य: हालांकि ये सेंटर प्रभावी हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी और बुनियादी ढांचे की सीमाएं चुनौतियां बनी हुई हैं। सरकार ने 2026 तक इन सेंटरों को 50 और जिलों में विस्तार करने का लक्ष्य रखा है, ताकि अधिक से अधिक युवा लाभान्वित हो सकें।

Disclaimer: यह लेख हाल के समाचारों, सरकारी योजनाओं और विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है। जानकारी में परिवर्तन संभव है; नवीनतम अपडेट के लिए आधिकारिक वेबसाइट देखें।

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