ग्रामीण महिलाओं के लिए यूपी की नई रोजगार योजनाएं: अब आत्मनिर्भरता की ओर!

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“उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण महिलाओं के लिए नई रोजगार योजनाएं शुरू की हैं, जो उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने पर केंद्रित हैं। डीएवाई-एनआरएलएम और अन्य योजनाओं के तहत लाखों महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़ा गया है। ये योजनाएं कौशल विकास, ऋण सुविधा और उद्यमिता को बढ़ावा दे रही हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिल रही है।”

उत्तर प्रदेश में ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने की नई पहल

उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कई नई योजनाएं शुरू की हैं, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना और उन्हें उद्यमिता के अवसर प्रदान करना है।

डीएवाई-एनआरएलएम: स्वयं सहायता समूहों का विस्तार

दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) के तहत उत्तर प्रदेश में 95 लाख से अधिक ग्रामीण महिलाओं को 8,56,710 स्वयं सहायता समूहों (SHGs) से जोड़ा गया है। इस मिशन के तहत महिलाओं को रिवॉल्विंग फंड (RF) और सामुदायिक निवेश कोष (CIF) के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। अब तक 7.36 लाख करोड़ रुपये का RF और 30.47 लाख करोड़ रुपये का CIF SHGs को वितरित किया गया है। इसके अलावा, 2013-14 से अब तक 7.68 लाख करोड़ रुपये का बैंक ऋण SHGs को वितरित किया गया है, जिससे महिलाएं विभिन्न आय-उत्पादक गतिविधियों में भाग ले रही हैं।

महिला उद्यमिता को बढ़ावा

DAY-NRLM के अंतर्गत स्टार्ट-अप विलेज एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम (SVEP) और आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना (AGEY) जैसी उप-योजनाएं ग्रामीण महिलाओं को उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। इन योजनाओं के तहत महिलाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण और बाजार तक पहुंच प्रदान की जाती है। उदाहरण के लिए, SARAS आजीविका मेला जैसे आयोजन, जैसे कि नोएडा हाट में आयोजित मेला, महिलाओं को अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने और बिक्री बढ़ाने का अवसर देता है।

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महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS)

MGNREGS ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार का एक प्रमुख स्रोत बना हुआ है। यह योजना हर ग्रामीण परिवार को प्रति वर्ष 100 दिनों का गारंटीकृत रोजगार प्रदान करती है। उत्तर प्रदेश में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं, हालांकि राज्य में महिलाओं की भागीदारी राष्ट्रीय औसत (56%) की तुलना में केवल 19% है। UN Women जैसे संगठनों के सहयोग से, अनुसूचित जाति की महिलाओं को प्रशिक्षण और बैंक खातों के माध्यम से अपनी मजदूरी पर नियंत्रण जैसे अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।

महिला कोयर योजना और स्टैंड-अप इंडिया

महिला कोयर योजना (MCY) के तहत ग्रामीण महिलाओं को कोयर प्रसंस्करण के लिए उपकरणों पर 75% तक की सब्सिडी दी जाती है। इसके अलावा, स्टैंड-अप इंडिया योजना के तहत महिलाओं को ग्रीनफील्ड व्यवसाय शुरू करने के लिए 10 लाख से 1 करोड़ रुपये तक का ऋण प्रदान किया जाता है। इन योजनाओं ने ग्रामीण महिलाओं को उद्यमिता के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद की है।

प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G)

PMAY-G के तहत 13 दिसंबर 2024 तक 2.68 करोड़ घर पूरे किए गए, जिनमें से 72.65 लाख घर केवल महिलाओं के नाम पर और 1.22 करोड़ घर पति-पत्नी के संयुक्त नाम पर हैं। ये महिलाएं SHGs के साथ जुड़कर आजीविका और रोजगार के अवसरों का लाभ उठा रही हैं।

मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना

2019 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य लिंगानुपात में सुधार और बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देना है। इसके तहत 3 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाली परिवारों की बालिकाओं को जन्म से लेकर डिग्री या डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश तक विभिन्न चरणों में वित्तीय सहायता दी जाती है। अब तक 15.87 लाख बालिकाओं को इस योजना का लाभ मिल चुका है।

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181-महिला हेल्पलाइन और वन स्टॉप सेंटर

महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 181-महिला हेल्पलाइन शुरू की है, जो 24×7 उपलब्ध है। इसके अलावा, सभी जिलों में वन स्टॉप सेंटर संचालित किए जा रहे हैं, जो हिंसा की शिकार महिलाओं को चिकित्सा, परामर्श और कानूनी सहायता प्रदान करते हैं। अब तक 1.49 लाख मामले इन केंद्रों में दर्ज किए गए हैं।

चुनौतियां और भविष्य की दिशा

हालांकि ये योजनाएं ग्रामीण महिलाओं के लिए अवसर पैदा कर रही हैं, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं। NSSO डेटा के अनुसार, उत्तर प्रदेश में ग्रामीण गैर-कृषि रोजगार में वृद्धि होने के बावजूद, रोजगार की गुणवत्ता में कमी आई है। महिलाओं के लिए नियमित वेतनभोगी नौकरियों में कमी और अस्थायी रोजगार में वृद्धि देखी गई है। इसके अलावा, कृषि क्षेत्र में कम मजदूरी के कारण महिलाएं गैर-कृषि क्षेत्रों की ओर बढ़ रही हैं, जो अक्सर संकट से प्रेरित है।

Disclaimer: यह लेख सरकारी वेबसाइट्स, समाचार स्रोतों और हाल के X पोस्ट्स पर आधारित है। जानकारी की सटीकता के लिए संबंधित सरकारी पोर्टल्स की जांच करें।

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