“उत्तर प्रदेश में ग्रामीण IT हब्स तेजी से उभर रहे हैं, जो टेक युवाओं के लिए हजारों नौकरियां ला रहे हैं। Microsoft, Intel और Google जैसे दिग्गजों के साथ साझेदारी से AI, साइबर सिक्योरिटी और डेटा एनालिटिक्स में प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। ये हब्स डिजिटल डिवाइड को कम कर रहे हैं और ग्रामीण भारत को टेक हब बना रहे हैं।”
उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में टेक क्रांति: युवाओं के लिए नौकरी के नए द्वार
उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में IT हब्स स्थापित करने की महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है, जिसका लक्ष्य राज्य के युवाओं को तकनीकी क्षेत्र में रोजगार के अवसर प्रदान करना है। हाल ही में, Microsoft, Intel और Google जैसे वैश्विक टेक दिग्गजों के साथ साझेदारी की घोषणा की गई है, जिसके तहत हर महीने लगभग 10 लाख लोगों, जिसमें शिक्षक, किसान और युवा शामिल हैं, को AI, मशीन लर्निंग, डेटा एनालिटिक्स और साइबर सिक्योरिटी जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
ये IT हब्स न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि स्थानीय युवाओं को वैश्विक स्तर की तकनीकी शिक्षा और नौकरियों से जोड़ रहे हैं। उदाहरण के लिए, Zoho Corporation ने पहले ही तमिलनाडु के तेनकासी जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में टेक हब्स स्थापित किए हैं, जहां लगभग 2,000 कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिनमें से 1,000 स्थानीय स्तर पर भर्ती किए गए हैं। उत्तर प्रदेश में भी इसी मॉडल को अपनाया जा रहा है, जहां मथुरा, गोरखपुर और आजमगढ़ जैसे क्षेत्रों में नए हब्स की योजना बन रही है।
इन हब्स का उद्देश्य ग्रामीण-शहरी डिजिटल डिवाइड को कम करना है। भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में 95.7% युवाओं (15-24 वर्ष) के पास मोबाइल फोन तक पहुंच है, और 4G कवरेज 99.5% तक फैला हुआ है। इसके बावजूद, तकनीकी कौशल की कमी के कारण कई युवा रोजगार के अवसरों से वंचित रह जाते हैं। इन हब्स के माध्यम से, सरकार और निजी कंपनियां मिलकर युवाओं को डेटा एनालिटिक्स, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और साइबर सिक्योरिटी जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण दे रही हैं, जिससे उनकी रोजगार क्षमता बढ़ रही है।
उत्तर प्रदेश में ये पहल Skill India Digital Hub जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों के साथ मिलकर काम कर रही है, जो AI और ऑटोमेशन जैसे क्षेत्रों में निरंतर प्रशिक्षण प्रदान करता है। विश्व आर्थिक मंच की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 67% कंपनियां विविध टैलेंट पूल से भर्ती करने की योजना बना रही हैं, जिसमें ग्रामीण युवा भी शामिल हैं। यह न केवल रोजगार के अवसर बढ़ा रहा है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर रहा है।
इन हब्स के जरिए ग्रामीण युवाओं को न केवल तकनीकी कौशल मिल रहे हैं, बल्कि वे वैश्विक परियोजनाओं में भी योगदान दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षित युवा डेटा ऑडिटिंग, टेक्निकल सपोर्ट और डिजिटल मार्केटिंग जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। साथ ही, रिमोट वर्क के बढ़ते चलन ने ग्रामीण युवाओं को अपने गांवों से ही वैश्विक कंपनियों के लिए काम करने का मौका दिया है, जिससे उनकी आय और जीवन स्तर में सुधार हो रहा है।
हालांकि, चुनौतियां भी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की गति और बुनियादी ढांचे की कमी अभी भी एक बड़ी बाधा है। इसके अलावा, तकनीकी शिक्षा तक पहुंच और जागरूकता की कमी भी युवाओं के लिए रुकावट बनी हुई है। सरकार और निजी क्षेत्र को इन समस्याओं को हल करने के लिए और अधिक निवेश करने की जरूरत है, जैसे कि डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना और स्थानीय स्तर पर जॉब फेयर आयोजित करना।
Disclaimer: यह लेख विभिन्न समाचार स्रोतों, वेबसाइटों और सोशल मीडिया पोस्ट्स से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। डेटा और तथ्य विश्वसनीय स्रोतों से लिए गए हैं, लेकिन पाठकों से अनुरोध है कि वे स्वतंत्र रूप से जानकारी की पुष्टि करें। यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है और किसी भी निवेश या नीतिगत निर्णय के लिए आधार नहीं माना जाना चाहिए।