“उत्तर प्रदेश में MGNREGA के तहत नई जॉब कार्ड जारी किए गए हैं, जो ग्रामीण मजदूरों को 100 दिन की गारंटीड रोजगार प्रदान करेंगे। 2024-25 में 45 लाख नए कार्ड जोड़े गए, लेकिन 85 लाख कार्ड डिलीट होने से विवाद। Aadhaar लिंकिंग और ABPS ने प्रक्रिया को जटिल किया। जानें कैसे प्रभावित होंगे यूपी के मजदूर और क्या हैं चुनौतियां।”
यूपी में MGNREGA: ग्रामीण मजदूरों के लिए नई जॉब कार्ड पहल
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में 100 दिन की गारंटीड मजदूरी प्रदान करती है। उत्तर प्रदेश, जो देश का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है, में इस योजना का महत्व और भी बढ़ जाता है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 में यूपी में MGNREGA के तहत 45 लाख नए जॉब कार्ड जारी किए गए हैं, जो ग्रामीण मजदूरों के लिए रोजगार के नए अवसर खोल रहे हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया में कई चुनौतियां भी सामने आई हैं, विशेषकर Aadhaar-आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) और जॉब कार्ड डिलीशन को लेकर।
नए जॉब कार्ड: कितना फायदा, कितनी चुनौती?
2024-25 में यूपी में MGNREGA के तहत 45 लाख नए जॉब कार्ड जोड़े गए, लेकिन इसी अवधि में 85 लाख कार्ड डिलीट किए गए, जिससे नेट डिलीशन 39 लाख रहा। LibTech India की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल से अक्टूबर 2024 तक 8.2 करोड़ सक्रिय मजदूरों को अयोग्य घोषित कर उनके कार्ड हटाए गए। इस डिलीशन का मुख्य कारण ABPS लागू करना रहा, जिसमें मजदूरों को अपने आधार कार्ड को जॉब कार्ड और बैंक खाते से लिंक करना अनिवार्य है। यूपी जैसे राज्य में, जहां ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और जागरूकता की कमी है, यह प्रक्रिया कई मजदूरों के लिए मुश्किल साबित हुई।
ABPS और उसकी जटिलताएं
जनवरी 2023 में, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने MGNREGA भुगतानों के लिए ABPS को अनिवार्य कर दिया। इसके लिए मजदूरों का आधार कार्ड जॉब कार्ड से लिंक होना चाहिए, आधार पर नाम जॉब कार्ड से मेल खाना चाहिए, और बैंक खाता आधार-सीडेड होकर नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) से मैप्ड होना चाहिए। LibTech की रिपोर्ट के अनुसार, 27.4% MGNREGA मजदूर अभी भी ABPS के लिए अयोग्य हैं, क्योंकि वे इन शर्तों को पूरा नहीं कर पाए। यूपी में यह समस्या और भी गंभीर है, जहां ग्रामीण मजदूरों को तकनीकी प्रक्रियाओं और दस्तावेजीकरण में सहायता की कमी है।
मजदूरों पर प्रभाव
जॉब कार्ड डिलीशन का सबसे बड़ा असर ग्रामीण मजदूरों की आजीविका पर पड़ा है। बिहार के अररिया जिले के मायानंद जैसे मजदूर, जिनका जॉब कार्ड तीन महीने पहले डिलीट हुआ, का कहना है, “जॉब कार्ड हमारी पहचान है। इसके बिना हम बेरोजगार हैं।” यूपी में भी लाखों मजदूरों ने अपनी आजीविका खो दी, क्योंकि उनके कार्ड को “काम करने की इच्छा न होना” या “डुप्लीकेट कार्ड” जैसे कारणों से हटा दिया गया। LibTech के अध्ययन के अनुसार, आंध्र प्रदेश में 15% डिलीशन गलत थे, और यूपी में भी ऐसी शिकायतें आम हैं।
रोजगार के अवसरों में कमी
MGNREGA के तहत रोजगार के अवसर भी प्रभावित हुए हैं। 2023-24 में 184 करोड़ व्यक्ति-दिवस रोजगार प्रदान किया गया था, जो 2024-25 में घटकर 154 करोड़ रह गया। यह 16.6% की कमी दर्शाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि गलत डिलीशन को ठीक किया जाए, तो रोजगार के आंकड़े और बेहतर हो सकते हैं। यूपी में ग्रामीण बेरोजगारी की दर पहले ही उच्च है, और जॉब कार्ड डिलीशन ने स्थिति को और जटिल कर दिया है।
प्रदर्शन और पारदर्शिता की मांग
NREGA संघर्ष मोर्चा जैसे संगठनों ने हाल ही में दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर MGNREGA में सुधार की मांग की। इनमें वेतन भुगतान में देरी, जॉब कार्ड डिलीशन, और अपर्याप्त फंडिंग जैसे मुद्दों को उठाया गया। ग्राम सभाओं को डिलीशन प्रक्रिया में शामिल करने और मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम (MIS) को अपग्रेड करने की सिफारिश की गई है, ताकि डिलीशन की प्रक्रिया पारदर्शी हो और गलतियां कम हों।
यूपी में नई शुरुआत
यूपी सरकार ने नए जॉब कार्ड जारी कर ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देने की कोशिश की है। ग्राम पंचायतों को रोजगार मांगने वाले प्रवासी मजदूरों तक पहुंचने और उन्हें जॉब कार्ड प्रदान करने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि बिना तकनीकी और प्रशासनिक सुधार के यह पहल अधूरी रहेगी। ग्रामीण मजदूरों को डिजिटल प्रक्रियाओं में सहायता और जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है, ताकि वे MGNREGA के लाभों का पूरा उपयोग कर सकें।
Disclaimer: यह लेख MGNREGA और उत्तर प्रदेश में इसके कार्यान्वयन पर आधारित है। जानकारी सरकारी वेबसाइटों, LibTech India की रिपोर्ट, और हाल के समाचारों से ली गई है। सटीकता के लिए संबंधित आधिकारिक स्रोतों की जांच करें।