“उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए नई ट्रेनिंग स्कीम शुरू की है, जिससे 2025 में कृषि जॉब्स में अवसर बढ़ेंगे। यह पहल आधुनिक खेती, डिजिटल टूल्स और स्मार्ट फार्मिंग तकनीकों पर केंद्रित है। लाखों किसानों को स्किल डेवलपमेंट और बेहतर आय का मौका मिलेगा।”
यूपी में खेतिहर मजदूरों के लिए नई ट्रेनिंग: कृषि जॉब्स में क्रांति
उत्तर प्रदेश, भारत का कृषि हब, अब खेतिहर मजदूरों और किसानों के लिए एक नई ट्रेनिंग पहल के साथ सुर्खियों में है। 2025 में शुरू होने वाली इस स्कीम का लक्ष्य है किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों, डिजिटल टूल्स और स्मार्ट फार्मिंग प्रथाओं से लैस करना। राज्य सरकार, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और कृषि विश्वविद्यालयों के सहयोग से यह कार्यक्रम लाखों ग्रामीण श्रमिकों को स्किल्ड जॉब्स और बेहतर आय का अवसर प्रदान करेगा।
ट्रेनिंग का दायरा और उद्देश्य
यह ट्रेनिंग प्रोग्राम खेती से जुड़े विभिन्न पहलुओं को कवर करता है, जैसे कि प्रेसिजन फार्मिंग, ड्रोन टेक्नोलॉजी, ऑर्गेनिक खेती, और मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन। उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में फैले कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) इस पहल के प्रमुख केंद्र होंगे। KVKs के माध्यम से, किसानों को न केवल तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा, बल्कि उन्हें सरकारी योजनाओं जैसे PM Kisan, Fasal Bima Yojana, और MSP स्कीम्स का लाभ उठाने के लिए जागरूक भी किया जाएगा।
कौन ले सकता है हिस्सा?
यह स्कीम विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों, खेतिहर मजदूरों, और युवाओं के लिए डिज़ाइन की गई है। कोई औपचारिक शिक्षा अनिवार्य नहीं है, लेकिन बेसिक साक्षरता को प्राथमिकता दी जाएगी। प्रशिक्षण में भाग लेने वालों को सर्टिफिकेशन प्रदान किया जाएगा, जो उन्हें निजी और सरकारी क्षेत्र में नौकरियों के लिए योग्य बनाएगा। उदाहरण के लिए, प्रशिक्षित श्रमिक Agri-warehousing, डिजिटल एडवाइजरी सर्विसेज, और Agri-tech स्टार्टअप्स में रोजगार पा सकते हैं।
आधुनिक तकनीकों पर जोर
2024-25 के केंद्रीय बजट में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए ₹1.52 लाख करोड़ का आवंटन किया गया है, जिसमें डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) पर विशेष ध्यान दिया गया है। यूपी में 400 जिलों में डिजिटल क्रॉप सर्वे शुरू हो चुका है, जिसके तहत 6 करोड़ किसानों और उनकी जमीन का डेटा रजिस्ट्री में शामिल किया जाएगा। इस डेटा का उपयोग ट्रेनिंग प्रोग्राम्स को और प्रभावी बनाने में किया जाएगा। ड्रोन ऑपरेटर्स, डेटा एनालिस्ट्स, और IoT टेक्नीशियन्स जैसे नए जॉब रोल्स की मांग बढ़ रही है।
किसानों की आय बढ़ाने का लक्ष्य
यह पहल न केवल स्किल डेवलपमेंट पर केंद्रित है, बल्कि किसानों की आय बढ़ाने का भी लक्ष्य रखती है। ऑर्गेनिक फार्मिंग और बायो-इनपुट रिसोर्स सेंटर्स को बढ़ावा देने के लिए 10,000 नए केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। इसके अलावा, 109 नई जलवायु-अनुकूल और उच्च उपज वाली फसल किस्मों को लॉन्च किया गया है, जो प्रशिक्षण का हिस्सा होंगी।
यूपी में रोजगार के अवसर
उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। 2024 में, भारत में कृषि क्षेत्र ने लगभग 150 मिलियन लोगों को रोजगार दिया, और यूपी इस संख्या का एक बड़ा हिस्सा योगदान देता है। इस ट्रेनिंग प्रोग्राम के माध्यम से, सरकार का अनुमान है कि अगले दो वर्षों में लगभग 1 मिलियन नए कृषि जॉब्स सृजित होंगे, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में। Agri-financing, वेयरहाउसिंग, और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में जॉब्स की मांग बढ़ रही है।
चुनौतियां और समाधान
हालांकि यह स्कीम आशाजनक है, लेकिन चुनौतियां भी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल साक्षरता की कमी एक बाधा हो सकती है। इसके लिए सरकार ने मोबाइल ट्रेनिंग यूनिट्स और स्थानीय भाषा में सामग्री प्रदान करने की योजना बनाई है। साथ ही, सामुदायिक सहभागिता और SHG ग्रुप्स के साथ सहयोग से जागरूकता बढ़ाई जा रही है।
क्या है भविष्य?
2025 में यह ट्रेनिंग प्रोग्राम यूपी के कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने की क्षमता रखता है। यह न केवल रोजगार के अवसर बढ़ाएगा, बल्कि खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल और स्मार्ट फार्मिंग तकनीकों के साथ, यूपी के किसान वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बन सकते हैं।
Disclaimer: यह लेख नवीनतम समाचार, सरकारी रिपोर्ट्स, और विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है। जानकारी को सावधानीपूर्वक सत्यापित किया गया है, लेकिन पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे आधिकारिक सरकारी पोर्टल्स से नवीनतम अपडेट्स की पुष्टि करें।