दिल्ली सरकार ने वन महोत्सव 2025 के तहत 70 लाख पेड़ लगाने का संकल्प लिया है। ‘एक पेड़ माँ के नाम’ पहल के साथ शुरू हुआ यह अभियान प्रदूषण से लड़ेगा और स्वच्छ हवा सुनिश्चित करेगा। सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में पौधारोपण होगा, जिससे दिल्ली का हरित आवरण बढ़ेगा और भविष्य सुरक्षित होगा।
दिल्ली का हरित भविष्य: 70 लाख पेड़ों का संकल्प
दिल्ली में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, दिल्ली सरकार ने वन महोत्सव 2025 के तहत 70 लाख पेड़ लगाने की महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है। इस अभियान की शुरुआत 3 जुलाई 2025 को भारत मंडपम में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ पहल के तहत पौधारोपण करके की। यह योजना न केवल प्रदूषण से निपटने का एक प्रभावी उपाय है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ और हरित दिल्ली का आधार भी तैयार करेगी।
इस अभियान का लक्ष्य दिल्ली के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में पौधारोपण को बढ़ावा देना है। प्रत्येक क्षेत्र में हजारों पेड़ लगाए जाएंगे, जिससे राष्ट्रीय राजधानी का हरित आवरण बढ़ेगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 33% हरित क्षेत्र के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। वन अनुसंधान संस्थान (FRI) की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली का हरित क्षेत्र 2020 में 325 वर्ग किलोमीटर था, जिसे 2021 में 350 वर्ग किलोमीटर तक बढ़ाने का लक्ष्य था। नई योजना इस दिशा में और तेजी लाएगी।
‘एक पेड़ माँ के नाम’ पहल के तहत, दिल्लीवासियों को अपने परिवार और समुदाय के लिए पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह अभियान भावनात्मक रूप से लोगों को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ता है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा, “पौधारोपण प्रदूषण पर पहला प्रहार है। यह न केवल हवा को शुद्ध करेगा, बल्कि दिल्ली को अधिक रहने योग्य बनाएगा।” इस अभियान में नीम, बरगद, पीपल जैसे पेड़ों के साथ-साथ फलदार और छायादार वृक्षों को प्राथमिकता दी जाएगी।
दिल्ली सरकार ने इस योजना को प्रभावी बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। पौधों की जियो-टैगिंग की जाएगी ताकि उनकी वृद्धि और संरक्षण पर नजर रखी जा सके। इसके अलावा, वन विभाग और पर्यावरण संगठनों के साथ मिलकर पौधों की देखभाल के लिए विशेष टीमें गठित की जाएंगी। दिल्ली में पहले से लागू ‘Tree Transplantation Policy’ के तहत, विकास कार्यों में बाधा बनने वाले 80% पेड़ों को काटने के बजाय दूसरी जगह प्रत्यारोपित किया जाएगा। यह नीति देश में अपनी तरह की पहली पहल है, जिसे 2020 में शुरू किया गया था।
इसके साथ ही, दिल्ली सरकार प्रदूषण नियंत्रण के लिए अन्य उपाय भी कर रही है। हाल ही में कनॉट प्लेस में दुनिया का दूसरा स्मॉग टॉवर स्थापित करने का निर्णय लिया गया है, जो हवा को शुद्ध करने में मदद करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि पेड़ लगाने और स्मॉग टॉवर जैसे उपायों का संयोजन दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार लाएगा। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, “हमारा लक्ष्य दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाना है। पेड़ और तकनीक दोनों का उपयोग करके हम यह सुनिश्चित करेंगे कि दिल्लीवासी स्वच्छ हवा में सांस लें।”
यह अभियान जनसहभागिता पर भी जोर देता है। स्कूल, कॉलेज, सामुदायिक संगठन और कॉरपोरेट्स को इस पहल में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। ‘ग्रीन गोल्ड’ प्रमाणपत्र उन परिवारों और संगठनों को दिया जाएगा जो इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेंगे। यह प्रमाणपत्र पर्यावरण संरक्षण में उनके योगदान का प्रतीक होगा।
दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को देखते हुए यह योजना समय की मांग है। पेड़ न केवल ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, बल्कि मिट्टी के कटाव को रोकने, जैव विविधता को बढ़ाने और जलवायु संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक अनुमान के अनुसार, एक परिपक्व पेड़ अपने 50 साल के जीवनकाल में 31,250 डॉलर मूल्य की ऑक्सीजन प्रदान करता है। इस अभियान से दिल्ली में कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण बढ़ेगा और ग्रीनहाउस गैसों का प्रभाव कम होगा।
यह योजना दिल्ली को न केवल हरित, बल्कि सतत विकास की दिशा में भी ले जाएगी। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इस योजना को सही ढंग से लागू किया गया, तो दिल्ली 2030 तक अपने हरित क्षेत्र को 33% से अधिक कर सकती है। यह न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि दिल्लीवासियों के स्वास्थ्य और जीवन स्तर के लिए भी एक बड़ा बदलाव लाएगा।
Disclaimer: यह लेख समाचार, सरकारी घोषणाओं, और पर्यावरण विशेषज्ञों की राय पर आधारित है। जानकारी विश्वसनीय स्रोतों जैसे pmindia.gov.in, aajtak.in, और X पोस्ट्स से ली गई है। तथ्यों की सटीकता के लिए संबंधित सरकारी वेबसाइट्स और आधिकारिक बयानों का उल्लेख करें।