“उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए डिजिटल क्लासरूम्स की शुरुआत हो रही है। 2025 में यूपी सरकार ने 500 से अधिक स्कूलों में डिजिटल लर्निंग को लागू किया, जिससे 2 लाख से अधिक छात्र लाभान्वित होंगे। यह पहल शिक्षा में डिजिटल डिवाइड को कम करने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए है।”
यूपी में अल्पसंख्यक शिक्षा को डिजिटल ताकत
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025 में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए शिक्षा को सशक्त बनाने हेतु डिजिटल क्लासरूम्स की शुरुआत की है। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत, राज्य के 75 जिलों में 500 से अधिक स्कूलों में डिजिटल लर्निंग सुविधाएं शुरू की गई हैं। इन स्कूलों में स्मार्ट बोर्ड, हाई-स्पीड इंटरनेट, और टैबलेट-आधारित शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे लगभग 2 लाख अल्पसंख्यक छात्रों को लाभ मिलेगा।
इस पहल का उद्देश्य डिजिटल डिवाइड को कम करना और ग्रामीण व कमजोर वर्गों तक आधुनिक शिक्षा पहुंचाना है। यूपी के शिक्षा विभाग के अनुसार, इन डिजिटल क्लासरूम्स में शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे डिजिटल टूल्स का प्रभावी उपयोग कर सकें। इसके अलावा, कंटेंट को स्थानीय भाषाओं में अनुकूलित किया गया है, जिसमें हिंदी और उर्दू शामिल हैं, ताकि छात्रों को समझने में आसानी हो।
2025 के बजट में इस योजना के लिए 150 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। यह राशि स्कूलों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, जैसे वाई-फाई, प्रोजेक्टर, और लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (LMS) स्थापित करने के लिए उपयोग की जा रही है। विशेष रूप से अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों, जैसे मुरादाबाद, रामपुर, और सहारनपुर, में यह प्रोजेक्ट तेजी से लागू किया जा रहा है।
हाल ही में लखनऊ में आयोजित एक समारोह में, शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह योजना न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करेगी बल्कि अल्पसंख्यक समुदायों के बीच डिजिटल साक्षरता को भी बढ़ाएगी। यूपी में पहले से ही डिजिटल शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति देखी गई है, जिसमें 3,700 स्कूलों में 1.3 मिलियन छात्रों के लिए कनेक्टिविटी में सुधार हुआ है।
इसके अतिरिक्त, सरकार ने विशेष जरूरतों वाले छात्रों (SEND) के लिए असिस्टिव टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने की योजना बनाई है। उदाहरण के लिए, 3D प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग करके कस्टमाइज्ड लर्निंग डिवाइस, जैसे जोयस्टिक और स्विच, बनाए जा रहे हैं, जो गैर-मौखिक छात्रों के लिए संचार और सीखने में मदद करते हैं।
हालांकि, चुनौतियां भी कम नहीं हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की अनियमित आपूर्ति और इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी कुछ स्कूलों में बाधा बन रही है। इसके समाधान के लिए सरकार सौर ऊर्जा और कम लागत वाले इंटरनेट समाधानों पर काम कर रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि शिक्षकों का प्रशिक्षण और डिजिटल उपकरणों की रखरखाव व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत है।
यूपी में यह डिजिटल क्रांति अल्पसंख्यक समुदायों के लिए शिक्षा में समानता लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न केवल शैक्षिक अवसरों को बढ़ाएगा बल्कि छात्रों को 21वीं सदी के डिजिटल युग के लिए तैयार भी करेगा।
Disclaimer: यह लेख हाल के समाचारों, सरकारी घोषणाओं, और विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है। डेटा और तथ्य विभिन्न वेब स्रोतों से लिए गए हैं। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे नवीनतम जानकारी के लिए आधिकारिक सरकारी वेबसाइट्स की जांच करें।