“उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025 में अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए नए स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स शुरू किए हैं, जिनका लक्ष्य आर्थिक स्वतंत्रता और रोजगार के अवसर बढ़ाना है। ये प्रोग्राम्स डिजिटल स्किल्स, हस्तशिल्प, और उद्यमिता पर केंद्रित हैं, जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेंगे।”
उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए कौशल विकास की नई पहल
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए कई नए स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स लॉन्च किए हैं, जिनका उद्देश्य आर्थिक सशक्तिकरण और सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देना है। ये प्रोग्राम्स विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए डिज़ाइन किए गए हैं जो अल्पसंख्यक समुदायों से आती हैं, जैसे मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी, और जैन समुदाय। इन पहलों का लक्ष्य न केवल रोजगार के अवसर प्रदान करना है, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर समाज में उनकी स्थिति को मजबूत करना भी है।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) के तहत, उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए विशेष प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए गए हैं। इन केंद्रों में डिजिटल लिटरेसी, टेलरिंग, हस्तशिल्प, ब्यूटी एंड वेलनेस, और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उदाहरण के लिए, लखनऊ और कानपुर जैसे शहरों में 2025 में शुरू हुए नए केंद्रों में सिलाई मशीन ऑपरेटर, डेटा एंट्री ऑपरेटर, और रिटेल सेल्स जैसे कोर्सेज की मांग बढ़ रही है। इन कोर्सेज की अवधि 3 से 6 महीने तक है, और प्रशिक्षण के बाद प्लेसमेंट सपोर्ट भी प्रदान किया जाता है।
इसके अलावा, जन शिक्षण संस्थान (JSS) योजना के तहत उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए विशेष रूप से टेलरिंग, हैंड एम्ब्रॉयडरी, और फ्रूट्स एंड वेजिटेबल प्रोसेसिंग जैसे कोर्सेज शुरू किए गए हैं। 2017-18 से 10 नवंबर 2024 तक, उत्तर प्रदेश में JSS के तहत लगभग 1.5 लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है, जिनमें से अधिकांश अल्पसंख्यक समुदायों से हैं।
नई दिल्ली में केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने हाल ही में PM VIKAS (प्रधानमंत्री विकास) योजना के तहत एक नई पहल की घोषणा की, जिसमें उत्तर प्रदेश की अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए उद्यमिता को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। इस योजना के तहत, 690 महिलाओं को मछली पालन और समुद्री उत्पादों से संबंधित स्किल्स में प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रोग्राम विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए है जो ग्रामीण क्षेत्रों में रहती हैं और पारंपरिक रूप से कम आय वाले व्यवसायों में काम करती हैं।
नई रोशनी योजना भी अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है, जो लीडरशिप स्किल्स और वित्तीय सहायता प्रदान करती है। यह योजना महिलाओं को न केवल आत्मविश्वास देती है, बल्कि उन्हें छोटे व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रोत्साहित भी करती है। उदाहरण के लिए, मुरादाबाद में एक समूह ने इस योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कर हस्तशिल्प उत्पादों का स्टार्टअप शुरू किया, जो अब स्थानीय और ऑनलाइन मार्केट में लोकप्रिय हो रहा है।
इन प्रोग्राम्स में भाग लेने वाली महिलाओं को कई तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं, जैसे मुफ्त प्रशिक्षण, ट्रांसपोर्ट रीइंबर्समेंट, और आवासीय सुविधाएं। इसके अलावा, सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष कदम उठाए हैं कि प्रशिक्षण केंद्र सुरक्षित हों और महिलाओं के लिए सुविधाजनक समय पर कोर्सेज आयोजित किए जाएं।
हालांकि, इन योजनाओं के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं। सामाजिक मानदंड, पारिवारिक जिम्मेदारियां, और ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन की कमी जैसी समस्याएं महिलाओं की भागीदारी को प्रभावित करती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए सामुदायिक जागरूकता और मेंटरशिप प्रोग्राम्स को बढ़ावा देना होगा।
इन सभी प्रयासों के बावजूद, उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स एक सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं। ये पहलें न केवल आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा दे रही हैं, बल्कि सामाजिक समावेश को भी मजबूत कर रही हैं, जिससे महिलाएं अपने समुदायों में नेतृत्वकारी भूमिका निभा सकें।
Disclaimer: यह लेख सरकारी योजनाओं, हाल के समाचारों, और उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित है। जानकारी सटीकता के लिए विश्वसनीय स्रोतों से ली गई है, लेकिन पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे आधिकारिक वेबसाइट्स या संबंधित विभागों से नवीनतम अपडेट्स की पुष्टि करें।